___ हाल के दिनों में ऑनलाइन ठगी, बैंकिंग नेटवर्क में सेंध, लोगों- हाल के दिनों में ऑनलाइन ठगी, बैंकिंग नेटवर्क में सेंध, लोगों- खासकर महिलाओं को उनके गलत प्रोफाइल बनाकर परेशान करने जैसे मामले प्रकाश में आये हैं। साइबर जंग या आतंकवाद का हैकिंग के रूप में भी एक चेहरा ऐसा हो सकता है, जिसमें सरकारी वेबसाइटों को निशाना बनाया जाए। इसकी एक बड़ी मिसाल हाल में पुलवामा आतंकी हमले के बाद मिली। दावा किया गया कि पाकिस्तान में बैठे हैकरों ने पुलवामा की घटना के बाद भारत सरकार से जुड़ी कम से कम 90 वेबसाइटों को हैक कर लिया। इनमें खास तौर से वित्तीय संचालन और पावर ग्रिड से संबंधित वेबसाइटें हैकरों क निशान पर था। आज साइबर सुरक्षा क मामल म दश का उड़ा के निशाने पर थीं। आज साइबर सुरक्षा के मामले में देश को उड़ी और बालाकोट जसा सर्जिकल स्ट्राइक करने की जरूरत हैयाना और बालाकोट जैसी सर्जिकल स्ट्राइक करने की जरूरत है। यानी साइबर आतंकियों के संपूर्ण सफाए की कार्रवाई करना।अक्सर दो देशों के बीच कोई तनाव पैदा होने के हालात में हैकर सरकारी वेबसाइटें हैक करते हैं। ऐसी स्थिति में ये हैकर सरकारी दुतावासों, प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों-अधिकारियों के लॉगइन विवरण, ईमेल, पासवर्ड, फोन नंबर और पासपोर्ट नंबर चुरा लेते हैं और उन्हें दसरी वेबसाइटों पर इस दावे के साथ लीक कर देते हैं कि फलां देश की साइबर सुरक्षा कितनी कमजोर है।भारत के संबंध में हैकिंग की ये कार्रवाइयां एक बड़ी घटना मानी कमजोर है ।भारत के संबंध में हैकि जाएंगी। इसकी दो अहम वजहें हैं। एक तो यह कि सूचना प्रौद्योगिकी के मामले में भारत खुद को अगुआ देश मानता रहा है, उसके आईटी एक्सपर्ट पूरी दुनिया में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं। दूसरे, ऐसे ही साइबर खतरों को भांपते हुए सरकार छह साल पहले वर्ष 2013 में राष्टीय साइबर सुरक्षा नीति जारी कर चुकी है, जिसमें देश के साइबर सुरक्षा इंफ्रास्ट्रक्चर की रक्षा के लिए प्रमुख रणनीतियों को अपनाने की बात कही गई थी। इन नीतियों के तहत देश में चौबीसों घंटे काम करने वाले एक नेशनल क्रिटिकल इन्फार्मेशन प्रोटेक्शन सेंटर (एनसीईआईपीसी) की स्थापना शामिल है। सवाल है कि क्या ६ इन उपायों को अमल में लाने में कोई देरी या चूक हुई है अथवा यह हमारे सूचना प्राधागका तः सूचना प्रौद्योगिकी तंत्र की कमजोर कड़ियों का नतीजा है कि एक ओर हैकर जब चाहें, जो चाहें सरकारी प्रतिष्ठानों की वेबसाइटें ठप कर रहे हैं।मार्च, 2013 में एडवर्ड स्नोडेन द्वारा जारी सूचना के मुताबिक, बाहर बैठे हैकरों ने भारतीयों की 6.3 अरब खुफिया सूचनाएं एक्सेस की थीं। स्नोडेन के एक अन्य खुलासे के अनुसार अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एजेंसी- एनएसए ने अमेरिका में जिन 38 दूतावासों की जासूसी की, उनमें भारतीय दूतावास भी शामिल था। हालत यह है कि हमारे महत्वपूर्ण कार्यालयों से लेकर भारतीय दूतावासों, रक्षा प्रणालियों यहां तक कि खुफिया एजेंसी-सीबीआई के कंप्यूटरों पर भी साइबर हमले कर उनकी जासूसी हो चुकी है।जलाई 2010 में इनसेट-4बी की बिजली प्रणाली में गड़बड़ी के कारण उसके एक सोलर पैनल ने काम बंद कर दिया था, जिससे उसके 24 में से 12 ट्रांसपॉन्डर ठप हो गए थे। पता चला कि यह काम व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा के तहत किया गया था। किसी ने उसमें 'स्टक्सनेट' नामक वायरस पहुंचा दिया था ताकि इनसेट से जुड़े टीवी चैनल चीनी उपग्रह पर चले जाएं! ऐसी ही एक घटना जुलाई, 2015 को हुई थी, जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की व्यावसायिक वेबसाइट 'एंट्रिक्स' हैक कर ली गई थी। इस करतूत के पीछे चीन का हाथ माना गया था ।इस एक्शन टीम में खुफिया ब्यूरो और राष्टीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (एनटीआरओ) के तकनीकी जानकार हैं जो देश के बाहर से चलाई जा रही सोशल साइटों, माइक्रो ब्लॉगिंग साइटों और मल्टी प्लेटफार्म कंटेंट शेयरिंग साइटों की निगरानी करेंगे। साइबर हमले व डाटा चोरी रोकने, हैक किए हए सिस्टम को जल्द बहाल करने और इंटरनेट के जरिये आपराधिक-आतंकी गतिविधियों में लगे लोगों की धरपकड़ कर उन्हें सजा दिलाने के वास्ते 2 जुलाई 2013 को एक राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति जारी की गई थी,
हैकरों पर भी सर्जिकल स्ट्राइक जरूरी